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बड़े घर की बेटी कहानी का सारांश लिखें।

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उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ने बहुत ही अच्छी कहानियाँ लिखी हैं। ‘बड़े घर की बेटी’ उनकी एक श्रेष्ठ सामाजिक कहानी है। आनंदी एक अमीर घराने से मध्यवर्गीय परिवार की बहू बनकर आती है। वहाँ के हालतों के अनुकूल वह अपने को ढाल लेती है। वह अपने देवर से अपमानित होकर भी घर की इज्जत बचा लेती है। आनंदी के उच्च संस्कार उसे सचमुच ‘बड़े घर की बेटी’ बनाते हैं। आनंदी ताल्लुकेदार भूपसिंह की बेटी थी। वह सुंदर व सुशील थी। वह अपने मायके में बड़े ही लाड़-प्यार से पली थी। आनंदी का विवाह बेनीमाधव सिंह के बड़े बेटे श्रीकंठ से हुआ था। बेनी माधवसिंह एक जमींदार था। उसकी जमीन-जायदाद सब कुछ खत्म हो गई थी। अब वह एक साधारण किसान ही रह गया था। आनंदी का पति श्रीकंठ पढ़ा-लिखा नौजवान था। शहर में काम करता था। उसका परिवार गाँव में था। उसके घर में सुख-सुविधाएँ बहुत कम थीं। फिर भी आनंदी ने अपने-आप को घर के अनुकूल बनाये रखा। वह खुशी से जीवन-यापन करने लगी। श्रीकंठ पढ़ाई के साथ-साथ, संस्कारित और भारतीय संस्कृति का अनुयायी था। संयुक्त परिवार का हिमायती भी था।

श्रीकंठ के छोटे भाई का नाम लालबिहारी सिंह था। वह अनपढ़ और उजड्ड था। एक दिन लालबिहारी सिंह ने खाना खाते समय घी माँगा। घी खत्म हो चुका था। अतः आनंदी घी नहीं दे पाई। इस कारण लालबिहारी सिंह ने गुस्से में भाभी को तथा उसके मायके को गालियाँ सुना दीं। आनंदी ने भी वापस कुछ खरी-खोटी सुना दी। तब लालबिहारी सिंह ने गुस्से में आकर आनंदी पर खड़ाऊ फेंक कर मार दिया। इससे आनंदी को बड़ा दुःख हुआ। अब श्रीकंठ शहर से गाँव आया, तो आनंदी ने सारी कहानी उसे सुनाई। श्रीकंठ ने क्रोधित होकर अपने बाप से कहा – इस घर में या तो वह रहेगा, या लालबिहारी। पिता ने पुत्र को समझाया कि घर का बँटवारा न हो। उनका घर गाँव में एक आदर्श था। अगर भाई-भाई के बीच की अनबन की बात गाँव में फैलेगी, तो उनकी बदनामी होगी। लालबिहारी सिंह को अपनी गलती पर पछतावा हुआ। पर उसकी बातें श्रीकंठ को शांत नहीं कर पाईं। वह घर के अलगाव की बात पर अड़े रहे। तब लालबिहारी सिंह ने भाभी के पास जाकर, वह खुद घर से निकल जाने की बात कही। यह सुनकर आनंदी का दिल पिघल गया। आनंदी बड़े घर की बेटी थी। उसके संस्कार अच्छे थे। उसने अपने पति श्रीकंठ को समझाया कि आगे घर में इस प्रकार के झगड़े नहीं होने देंगे। श्रीकंठ ने अपने भाई को गले लगाया। ठाकुर बेनीमाधव सिंह की आँखें भर आईं। गुणवती आनंदी के संस्कारों के कारण टूटता हुआ घर बच गया। सचमुच बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं।
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